ना कर तेरा मेरा
एक दिन सब मिट्टी हो जाता है
रह जाता है यही सब
क्यौं तू मोह माया के
बीज बो जाता है।
तू मरता रहा पल पल
जिन अपनों के लिये
वो तेरी अर्थी पर आके
दो आँसू रो जाता है
ना कर तेरा मेरा
एक दिन सब
मिट्टी हो जाता है।
ये कहकशाँ ये
महफिलें तू सजाता रहा
पर आखिरी सांस में
इंसान अकेला सो जाता है
सत्कर्म कर सत पथ पर चल
क्यों झूठी शान
मोह माया में खो जाता है।
ना कर तेरा मेरा
एक दिन सब मिट्टी हो जाता है।
ये ज़िंदगी क्या है ? एक सूखा
हुआ पेड़ ही तो है
जो एक हवा का झोंका आये
और गिर जाये
क्योंकि इक ना इक दिन
सब को ही इस ज़िंदगी की
रेलगाड़ी से
उतर का चाँद सितारों में खो
जाना है
अब जाना ही है इक दिन तो
क्यों न कुछ ऐसा किया जाये
जब हम इस दुनियां से
अलविदा ले रहे रहे होंगे
उस वक़्त हर इक की
आंखों में आंशू हो
और जुवां पर शब्द हो
कि यार कुछ भी कहो
इन्शान बहुत अच्छा था,
ज़िन्दगी बहुत छोटी है बस इस को बड़ा कर के जियो.....